Best Poetry कुछ तो बाकि है
कुछ तो बाकि है
अलग तो हो गए है,
पर कुछ तो बाकि है।
तेरे मेरे दर्मिया कुछ तो बाकि है।
तुम्हारे गुस्से का इत्मीनान है मुझे।
पर तुम्हारे स्नेह का एहसास बाकि है।
सब साफ़ है अब हमारे बीच।
फिर भी कुछ सवाल बाकी है।
क्या था क्या नहीं हमारे दरमियान।
कुछ कुछ या बहुत कुछ हिसाब बाकि है।
जानता हु नहीं पसंद तुम्हे कुछ भी.
न मेरी शक्ल न मेरी आवाज़ ओर न अंदाज,
पर इन सब से परे भी मेरी एक पहचान है
उसके अंदर एक तूफ़ान बाकि है।
कुछ तो बाकी है।
तुमने राहो में अकेले छोड़ तो दिया है,
पर तुम्हारे अंदर भी इंसान बाकि है।
भूल तो तुम भी नहीं पाओगी मुझे
जब तक मेरे अंदर जान बाकि है।
पर तुम परेशान नहीं होना
तुम कमजोर नहीं पड़ना..
तुम अपने सपनो को हक़ीक़त में बदलना.
अभी तो तुम्हारे सपनो की उड़ान बाकी है।
हो कायनात की खुशिया तुम्हारे कदमो में
कामयाबी का दामन चूमो तुम..
सब करो जो तुम चाहती हो..
मेरे दिल में आज भी ये अरमान बाकी है।
पर हा तैयार रहना तुम,
कभी, कही, किसी मोड़ पे मिलेंगे,
और तब हम बहुत लड़ेंगे. ठीक है,
तब तक मेरी ओर से जंग का एलान बाकि है।